ट्रैफिक व्यवस्था सिस्टम नहीं, ‘स्टीकर सिंडिकेट’ का खेल
पूर्वाचल राज्य ब्यूरो वाराणसी
पुलिस कमिश्नर के तमाम दावों और सख्ती के बाद भी काशी जोन की सड़कों पर ट्रैफिक का संचालन माफिया के इशारों पर होता दिख रहा है। शहर में कुल 15 हज़ार परमिटेड ऑटो होने चाहिए, लेकिन असलियत यह है कि 30 से 35 हज़ार अवैध ऑटो धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि चौक थाने का हिस्ट्रीशीटर घनश्याम यादव ही इस पूरे ‘ऑटो साम्राज्य’ का सरगना है। कभी खुलेआम ऑटो के बाहर अपने ‘स्टीकर’ से ताकत दिखाता था, अब चालाकी से वही स्टीकर अंदर चिपकाकर अवैध ऑटो का संचालन करवा रहा है।
यानी काशी की सड़कों पर पुलिस या ट्रैफिक विभाग नहीं, बल्कि माफिया का इशारा ही नियम-कानून है। नतीजा जाम से जूझते स्थानीय लोग और विदेशों से आने वाले श्रद्धालु-पर्यटक।
सवाल यह है कि जब सिस्टम जानता है कि कौन चला रहा है यह धंधा, तो फिर पुलिस कमिश्नर की मजबूरी क्या है? क्या यह मिलीभगत है, या विभाग के कुछ कथित कर्मचारियों की वजह से पूरा पुलिस महकमा कलंकित हो रहा है?
काशी का नाम रोशन करने की जगह कुछ लोग इसे जाम और माफियागिरी की पहचान बना रहे हैं।










