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पंचतत्व में विलीन हुए पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र, राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

पंचतत्व में विलीन हुए पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र, राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

पूर्वांचल राज्य ब्यूरो वाराणसी।

भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के शीर्षस्थ साधक और ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र को गुरुवार शाम वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। सैन्य टुकड़ी ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया, और उनके पौत्र राहुल मिश्र ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की विधि पूर्ण की।

गुरुवार तड़के उनका निधन मिर्जापुर में हो गया था, जहां वे विगत कुछ वर्षों से अपनी बेटी डॉ. नम्रता मिश्रा के आवास पर रह रहे थे। दोपहर में उनका पार्थिव शरीर मिर्जापुर से वाराणसी लाया गया, और सायंकाल वह पंचतत्व में विलीन हो गए।

आजमगढ़ से बनारस तक की सुरमयी यात्रा

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ ज़िले के हरिहरपुर गांव में जन्मे पंडित छन्नूलाल मिश्र ने वाराणसी को अपनी संगीत साधना की कर्मभूमि बनाया। बनारस घराने और किराना घराने की गायकी में पारंगत मिश्र जी ने ठुमरी, चैती, कजरी और होली जैसे लोकसंगीत को शास्त्रीय रंग देकर उन्हें वैश्विक मंचों तक पहुंचाया। उनका कालजयी गीत ‘खेले मसाने में होरी’ आज भी भारत सहित विश्वभर में रसिकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।

सम्मान और योगदान

पंडित छन्नूलाल मिश्र को वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में ‘पद्म भूषण’ और 2020 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से अलंकृत किया गया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में वे वाराणसी संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे।

बनारस की आत्मा को सुरों में पिरो दिया

प्रख्यात सितार वादक और पद्मश्री पंडित शिवनाथ मिश्र के पुत्र पंडित देवव्रत मिश्र ने कहा, “पंडित छन्नूलाल मिश्र की विदाई संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने बनारस की ठुमरी और लोकधुनों को वैश्विक पहचान दिलाई और बनारस की आत्मा को सुरों में पिरो दिया।”

प्रधानमंत्री ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन को भारतीय संगीत जगत की अपूरणीय क्षति बताया और कहा कि वे जीवन भर कला और संस्कृति के लिए समर्पित रहे। उन्होंने बनारस घराने की परंपरा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और काशी की सांस्कृतिक विरासत को अपने संगीत से समृद्ध किया। प्रधानमंत्री ने उनके साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को भी याद किया, जैसे कि 2014 में चुनाव में उनके प्रस्तावक बनना और महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उनसे भेंट। प्रधानमंत्री ने कहा कि पंडित मिश्र भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत और योगदान सदा प्रेरणा देता रहेगा।

एक युग का अवसान

पंडित छन्नूलाल मिश्र न केवल एक महान गायक थे, बल्कि भारतीय संगीत की परंपरा और संस्कृति के सच्चे संवाहक भी थे। उनका जाना संगीत जगत के एक युग का अवसान है। उनके स्वर अब भी गूंजते रहेंगे—कभी किसी ठुमरी में, कभी किसी कजरी में… और सदा बनारस की हवाओं में।

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