सिर्फ 15 हजार में ईमान गिरवी! ओडिशा सिविल सेवा टॉपर अश्विनी कुमार पांडा रिश्वत लेते गिरफ्तार
नाम ‘अश्विनी’ और कर्म ऐसे कि भरोसा भी शर्मा जाए… विजिलेंस ने घर से लाखों की नकदी भी बरामद की
खबर (राजेश कुमार वर्मा)
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो भुवनेश्वर/संबलपुर।
ओडिशा में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए विजिलेंस टीम ने राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2019 के टॉपर और संबलपुर जिले के बामरा तहसीलदार अश्विनी कुमार पांडा को सिर्फ 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ धरदबोचा। जिस नाम से आदर्श झलकना चाहिए था, उसी नाम से अब सरकारी सिस्टम पर एक और कलंक जुड़ गया है।
खुद को अफसर कहलाने वाले इस टॉपर ने एक किसान की जमीन को आवासीय घोषित करने के एवज में रिश्वत मांगी। पहले 20 हजार की मांग की, और फिर ‘डील’ 15 हजार में पक्की कर दी।
शिकायतकर्ता ने जबरन वसूली की इस साजिश की सूचना विजिलेंस को दी। इसके बाद जाल बिछाकर तहसीलदार पांडा को उसके ही दफ्तर में ड्राइवर के माध्यम से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। पूरी रकम मौके से बरामद हुई।
टॉपर की टोपी उतरी, घर से निकला लाखों का खजाना
पकड़े जाने के बाद विजिलेंस ने पांडा के भुवनेश्वर स्थित आवास और पीडब्लूडी आईबी पर छापेमारी की। जांच में उसके घर से 4.73 लाख रुपये नकद, कई अहम दस्तावेज और संपत्ति से जुड़े रिकॉर्ड जब्त किए गए। इस मामले में पांडा के ड्राइवर प्रवीण कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है।
नाम ऊंचा, कर्म नीच
32 वर्षीय अश्विनी कुमार पांडा एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उन्होंने 2019 की ओडिशा सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया था। साल 2021 में वे ओडिशा प्रशासनिक सेवा (ओएएस) में प्रशिक्षण रिजर्व अधिकारी (टीआरओ) के रूप में शामिल हुए। इसके बाद मयूरभंज के शमखुंटा में पहली पोस्टिंग मिली और हाल ही में उन्हें बामरा तहसील का चार्ज सौंपा गया था।
लेकिन टॉपर का यह ‘सपनों वाला सफर’ सिर्फ 15 हजार रुपये में ही भ्रष्टाचार की गहरी खाई में गिर गया। जिस नाम को लोगों की सेवा का पर्याय बनना था, वही नाम अब ‘घूसखोर अफसर’ की पहचान से जोड़ा जा रहा है।










