दशाश्वमेध घाट पर आतंकवाद के शिकार 26 मृतकों के लिए पिंडदान व श्राद्ध, गूंजे वैदिक मंत्र
पूर्वांचल राज्य ब्यूरो वाराणसी।
खबर ( राजेश कुमार वर्मा)
पवित्र नगरी काशी के प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर शनिवार को एक मार्मिक और आध्यात्मिक दृश्य देखने को मिला। पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले में शहीद हुए 26 निर्दोष लोगों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए गंगोत्री सेवा समिति द्वारा वैदिक परंपराओं के अनुसार विशेष पिंडदान और श्राद्ध तर्पण अनुष्ठान का आयोजन किया गया।
यह अनुष्ठान सनातन धर्म की उस परंपरा का प्रतीक था जिसमें मृत आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान एक महत्वपूर्ण कर्म माना जाता है। अनुष्ठान का उद्देश्य न केवल दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करना था, बल्कि समाज को यह संदेश देना भी था कि आतंक जैसी अमानवीय घटनाओं के विरुद्ध हम सभी एकजुट हैं।
समिति के अध्यक्ष किशोरी रमण दूबे ने वैदिक आचार्यों के साथ विधिपूर्वक अनुष्ठान संपन्न कराया। पिंडदान, तर्पण और मंत्रोच्चार के माध्यम से शहीदों की आत्मा की शांति और ऊर्ध्वगति की प्रार्थना की गई। इस अवसर पर सात ब्राह्मणों ने वेद-मंत्रों का उच्चारण कर अनुष्ठान को दिव्यता प्रदान की।
ब्राह्मणों में रंजीत पांडे, किसून पांडे, सीताराम पाठक, रवि शंकर पुरोहित, और अंकुर पांडे प्रमुख रूप से शामिल रहे। समिति के पदाधिकारियों में दिनेशंकर दूबे, संदीप कुमार दूबे, संकठा प्रसाद, मयंक दूबे सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।
अनुष्ठान के दौरान उन 26 दिवंगतों के नामों का उच्चारण किया गया जो इस नृशंस हमले के शिकार बने, जिनमें मन्जुनाथ राव, कॉर्पोरल टेज़ हाइलयांग, दिनेश मिरानिया, हेमंत जोशी, नीरज उद्धवानी, प्रशांत सतपथ्य, सैयद आदिल हुसैन शाह (स्थानीय गाइड), सुदीप न्यौपाने (नेपाल), यतिशभाई परमार, सुमित परमार, मनीष रंजन, भरत भूषण, शुभम द्विवेदी और अन्य शामिल थे।
किशोरी रमण दूबे ने इस अवसर पर कहा, “आतंकवाद मानवता के विरुद्ध अपराध है। इस तरह की हिंसक घटनाएं कायरता की प्रतीक हैं, जिनकी जितनी निंदा की जाए कम है। हम सनातन धर्म की परंपराओं के माध्यम से इन निर्दोष आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और देशवासियों से अपील करते हैं कि पीड़ित परिवारों के साथ संवेदना प्रकट करें एवं उन्हें संबल दें।”
गंगोत्री सेवा समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान केवल कर्मकांड नहीं हैं, बल्कि समाज में सहानुभूति, एकजुटता और धर्मिक चेतना को जाग्रत करने का माध्यम भी हैं। समिति ने आगे भी इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से समाज में सकारात्मकता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया।










